Vanilla दुनिया की दूसरी सबसे महंगी फसल है, जिसकी कीमत 40,000


असम के अमर बासुमतारी की वनीला की खेती से कमाई की अनोखी कहानी: महंगी फसल, सुनहरा मुनाफा

भारत में खेती-किसानी की तस्वीर बदल रही है। किसान पारंपरिक फसलों से आगे बढ़कर अब महंगी और कमर्शियल फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। इन्हीं में से एक है वनीला (Vanilla), जिसे दुनिया की दूसरी सबसे महंगी फसल माना जाता है। इसकी कीमत 25,000 से 40,000 रुपये प्रति किलो तक है। भारत में आमतौर पर दक्षिण भारत में इसकी खेती होती है, लेकिन अब पूर्वोत्तर भारत के किसान भी इसे अपनाने लगे हैं। असम के किसान अमर बासुमतारी ने वनीला की खेती कर मिसाल पेश की है।

वनीला क्या है और इसकी इतनी कीमत क्यों?

वनीला एक प्रकार की बेल है, जिसके फलियों से बीज निकालकर वनीला फ्लेवर तैयार किया जाता है। आइसक्रीम, शेक, बेकरी उत्पाद, फ्लेवर्ड मिल्क जैसे कई खाद्य पदार्थों में वनीला का स्वाद दिया जाता है। इसकी मांग अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी काफी ज्यादा है।
वनीला के पौधे को परिपक्व होने में करीब 9 से 10 महीने लगते हैं और इसकी प्रोसेसिंग जटिल होती है। इसे सुखाकर तैयार करने की प्रक्रिया में मेहनत और समय दोनों लगते हैं, इसी कारण इसकी कीमत आसमान छूती है।


असम के किसान अमर बासुमतारी की पहल

अमर बासुमतारी असम के ऐसे किसान हैं, जिन्होंने वनीला की खेती कर पूर्वोत्तर में नई उम्मीद जगाई है। उन्होंने दक्षिण भारत से वनीला के पौधे मंगवाकर इसकी खेती शुरू की। अमर ने बताया कि उन्होंने अपने खेत में 200 वनीला के पौधे लगाए हैं।
हर पौधे की कीमत लगभग 250 रुपए है और पौधे से पौधे की दूरी करीब 2.5 फीट रखी जाती है। अमर ने अपने खेत में वनीला के साथ-साथ स्ट्रॉबेरी की भी खेती की है, जिससे अतिरिक्त मुनाफा हो सके।

लागत और मुनाफा

अमर बासुमतारी ने बताया कि एक पौधा लगाने में उन्हें 250 रुपए खर्च आए। वनीला का पौधा एक बार लगाने के बाद करीब 10-15 साल तक फल देता है, जिससे लंबे समय तक फायदा होता है।
उनके अनुसार, एक पौधे से 1-2 किलो तक उपज मिलती है। अगर वनीला को सही तरीके से सुखाकर और प्रोसेसिंग करके बाजार में बेचा जाए, तो इसका दाम 40,000 रुपए प्रति किलो तक मिल सकता है।
हालांकि, असम में प्रोसेसिंग यूनिट्स की कमी के कारण कई किसान कच्चा माल ही बेचते हैं, जिससे उन्हें अपेक्षित कीमत नहीं मिलती। अमर के कुछ दोस्तों ने पिछले साल वनीला की उपज बेची थी, लेकिन प्रोसेसिंग न कर पाने के कारण उन्हें 2000-3000 रुपए प्रति किलो के हिसाब से ही दाम मिला।


चुनौतियाँ और समाधान

वनीला की खेती में सबसे बड़ी चुनौती इसकी आबोहवा और संवेदनशीलता है। इसे उपजाऊ मिट्टी, पर्याप्त नमी और छायादार वातावरण चाहिए। अमर ने अपने खेत में बांस की सहायता से वनीला के पौधों को सहारा दिया है, लेकिन भविष्य में वे इसे मजबूत संरचना में लगाने की योजना बना रहे हैं ताकि पौधे लंबे समय तक टिक सकें।

इसके अलावा, वनीला की प्रोसेसिंग तकनीक और बाजार से जुड़ाव की जानकारी भी जरूरी है। अगर किसान स्थानीय स्तर पर वनीला प्रोसेसिंग यूनिट्स स्थापित कर सकें, तो उन्हें सीधा बाजार से बेहतर कीमत मिल सकती है।


वनीला खेती की संभावनाएँ

भारत में वनीला की खेती फिलहाल बहुत बड़े पैमाने पर नहीं होती है। दक्षिण भारत में केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों में इसकी खेती होती है, लेकिन अब असम, मेघालय जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में भी किसान इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं।
यह उन किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प बन सकता है, जो कम क्षेत्रफल में ज्यादा मुनाफा कमाने की सोच रहे हैं और नई किस्म की खेती में हाथ आजमाना चाहते हैं।


खेती के प्रति युवाओं का आकर्षण

अमर बासुमतारी जैसे युवा किसान साबित कर रहे हैं कि अगर सही जानकारी, मेहनत और तकनीक के साथ खेती की जाए, तो किसानी भी फायदे का सौदा हो सकती है। उन्होंने वनीला के अलावा स्ट्रॉबेरी जैसी नकदी फसलों की भी खेती कर यह संदेश दिया है कि परंपरा और नवाचार का संगम ही कृषि को नई दिशा दे सकता है।


अमर बासुमतारी की वनीला खेती की यह कहानी न सिर्फ असम के, बल्कि पूरे भारत के किसानों के लिए प्रेरणा है। अगर सरकार और स्थानीय संस्थाएँ वनीला प्रोसेसिंग यूनिट्स, प्रशिक्षण और मार्केटिंग में किसानों की मदद करें, तो भारत वनीला उत्पादन में भी विश्वस्तरीय पहचान बना सकता है।

खेती-किसानी से जुड़ी ऐसी ही और रोचक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए न्यूज पोटली के साथ, क्योंकि हम हैं भारत के किसानों की आवाज।


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