नई दिल्ली – भारत की परीक्षा प्रणाली में डिजिटल क्रांति का एक और अध्याय जुड़ गया है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने NEET UG 2025 परीक्षा के दौरान आधार फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक का सफल परीक्षण कर यह साबित कर दिया है कि अब परीक्षा में पहचान की गड़बड़ियों पर पूरी तरह रोक लग सकती है।
यह तकनीकी पहल नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) के सहयोग से की गई। परीक्षण को इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय का भी समर्थन प्राप्त हुआ, जिसने इसे “सुरक्षित, स्केलेबल और छात्र अनुकूल समाधान” बताया।
परीक्षण का उद्देश्य क्या था?
इस परीक्षण का मुख्य उद्देश्य यह परखना था कि:
- क्या फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक परीक्षार्थियों की पहचान को सही और तेज़ी से सत्यापित कर सकती है?
- क्या यह तकनीक कॉंटैक्टलेस (संपर्करहित) होने की वजह से परीक्षा केंद्रों पर सुरक्षा को बेहतर बना सकती है?
- क्या यह प्रणाली भविष्य में परीक्षा धोखाधड़ी को रोकने में सहायक हो सकती है?
कैसे किया गया परीक्षण?
- परीक्षण को चयनित परीक्षा केंद्रों पर लागू किया गया।
- NIC की डिजिटल पहचान प्रणाली और NTA की परीक्षा प्रक्रिया को एकीकृत किया गया।
- फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक ने आधार के बायोमेट्रिक डाटाबेस के साथ रीयल टाइम मिलान किया।
- यह पूरी प्रक्रिया संपर्करहित, स्वचालित, और कई सेकंड्स में पूर्ण हो गई।
परिणाम क्या रहे?
परीक्षण के परिणाम बेहद सकारात्मक रहे:
- ✅ उच्च सटीकता से परीक्षार्थियों की पहचान सत्यापित हुई।
- ✅ लंबी कतारें और मैनुअल वेरिफिकेशन की जरूरत कम हुई।
- ✅ धोखाधड़ी की संभावनाएं लगभग शून्य तक सीमित रहीं।
- ✅ छात्र भी इस प्रक्रिया से संतुष्ट दिखे क्योंकि यह तेज और आसान रही।
परीक्षा प्रणाली में बढ़ेगा डिजिटल विश्वास
इस परीक्षण की सफलता से यह स्पष्ट है कि भविष्य में CBSE, UPSC, JEE जैसे अन्य राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में भी आधार फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक को अपनाया जा सकता है। इससे न केवल परीक्षा संचालन अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनेगा, बल्कि डिजिटल इंडिया मिशन को भी मजबूती मिलेगी।
NEET UG 2025 के इस सफल प्रयोग ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत की परीक्षा प्रणाली अब पूरी तरह डिजिटलीकरण की ओर अग्रसर है। UIDAI, NIC और NTA की इस पहल ने छात्रों की सुविधा के साथ-साथ सुरक्षा के नए मानक स्थापित कर दिए हैं।