17 अप्रैल को जन्मे: आशाराम बापू का जीवन परिचय | Sant Asaram Bapu Biography in Hindi
परिचय: sant-asaram-bapu-biography Born on April 17
17 अप्रैल 1941 को सिंध प्रांत (अब पाकिस्तान में) के नवाबशाह जिले में जन्मे आशाराम बापू (मूल नाम: आसुमल सिरूमलानी हरपलानी) एक प्रसिद्ध भारतीय संत और आध्यात्मिक गुरु रहे हैं। उन्होंने देश और विदेशों में करोड़ों अनुयायियों को ध्यान, साधना और आध्यात्मिक जीवन का मार्ग दिखाया। हालांकि उनका जीवन बाद में विवादों में भी घिरा रहा, लेकिन उनके प्रवचनों और आश्रमों की श्रृंखला ने आध्यात्मिक जगत में गहरी छाप छोड़ी।
ट्रस्ट की अनुमानित वार्षिक आय करीब 400 करोड़ रुपये थी, लेकिन 2013 में एक नाबालिग के साथ यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार होकर 2018 में आजीवन कारावास की सजा मिलने के बाद उनकी छवि संत से अपराधी की हो गई।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
- जन्म: 17 अप्रैल 1941
- स्थान: नवाबशाह, सिंध (ब्रिटिश भारत, अब पाकिस्तान)
- पिता का नाम: सिरूमलानी हरपलानी
- माता का नाम: मेहताब देवी
- विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आकर गुजरात के अहमदाबाद में बस गया।
आशाराम बापू का बचपन आर्थिक संघर्षों में बीता। उन्होंने औपचारिक शिक्षा अधूरी छोड़ दी और युवावस्था में आध्यात्मिक मार्ग की ओर आकर्षित हो गए।
आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत
युवावस्था में उन्होंने हिमालय की यात्रा की और कई संतों से मार्गदर्शन प्राप्त किया। अंततः उनके गुरु लीलाशाह बापू ने उन्हें दीक्षा दी और उन्हें “आशाराम” नाम प्रदान किया।
धीरे-धीरे उन्होंने देश भर में प्रवचन देने शुरू किए और अपने अनुयायियों की संख्या बढ़ाई। उनका प्रमुख उद्देश्य लोगों को आध्यात्मिक साधना, ध्यान और संयम के रास्ते पर चलाना था।
आश्रम और संस्थाएं
आशाराम बापू ने भारत और विदेशों में करीब 400 से अधिक आश्रम और 1700 बाल संस्कार केंद्र स्थापित किए। इन केंद्रों के माध्यम से बच्चों और युवाओं में नैतिक मूल्यों, संस्कृति और सनातन धर्म के प्रति जागरूकता फैलाई जाती थी।
प्रमुख सेवाएं:
- नि:शुल्क औषधालय और विद्यालय
- गौशालाएं
- सत्संग और योग शिविर
- आपदा राहत कार्यों में भागीदारी
लोकप्रियता और अनुयायी
1990 और 2000 के दशक में आशाराम बापू की लोकप्रियता चरम पर थी। राजनेता, फिल्म सितारे, उद्योगपति और आम जनता बड़ी संख्या में उनके सत्संग में भाग लेते थे। टीवी चैनलों और यूट्यूब पर उनके प्रवचन बहुत देखे जाते हैं।
विवाद और गिरफ़्तारी
आशाराम बापू का जीवन विवादों से भी अछूता नहीं रहा।
- 2013 में एक नाबालिग लड़की द्वारा यौन शोषण का आरोप लगाए जाने के बाद उन्हें गिरफ़्तार किया गया।
- 2018 में जोधपुर की एक अदालत ने उन्हें दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई।
- इस घटना के बाद उनके कई आश्रमों और ट्रस्टों की जांच की गई।
विवादों का प्रभाव
उनकी गिरफ़्तारी और सज़ा के बावजूद, आज भी लाखों अनुयायी उन्हें निर्दोष मानते हैं और उनकी शिक्षाओं का पालन करते हैं। उनका परिवार और ट्रस्ट लगातार उनकी रिहाई की मांग करते रहे हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य
- आशाराम बापू ने हजारों प्रवचन दिए और अनेक धार्मिक पुस्तकों की रचना की।
- उनके प्रवचन मुख्य रूप से भक्ति, ध्यान, आत्मज्ञान, सेवा और साधना पर आधारित थे।
- उन्होंने समाज में व्यसन मुक्ति, नारी सम्मान और संस्कृति संवर्धन के लिए अभियान चलाए।
(Conclusion)
आशाराम बापू एक ऐसे संत रहे, जिन्होंने लाखों लोगों को आत्मिक जागृति की राह दिखाई, लेकिन उनका जीवन विवादों में भी घिरा रहा। 17 अप्रैल को जन्मे इस व्यक्तित्व ने भारतीय आध्यात्मिक जगत को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया, चाहे वह अपने सत्संगों के माध्यम से हो या सामाजिक सेवा के कार्यों से।