Jio ने 189 रुपये वाला प्रीपेड प्लान फिर से लॉन्च किया है, जिसमें 28 दिनों की वैधता

Jio का ‘U’ टर्न: 189 रुपये वाला प्लान दोबारा लॉन्च, यूजर्स को मिलेंगे शानदार बेनिफिट्स भारत की प्रमुख टेलीकॉम कंपनी

Read More »

वीर पहाड़िया की डेब्यू फिल्म ‘स्काई फोर्स’: देशभक्ति, साहस और बलिदान की कहानी

वीर पहाड़िया की डेब्यू फिल्म ‘स्काई फोर्स’: देशभक्ति, साहस और बलिदान की कहानी 24 जनवरी को रिलीज होने जा रही

Read More »

organized review MBBS Doctor studie

डॉक्टर की पढ़ाई (MBBS) के प्रमुख विषयों की जानकारी Here’s an organized table format for a quick review of the

Read More »

समूह संचार क्या होता है Group Communication

what is group communication समूह संचार (Group Communication) समूह संचार (Group Communication)       यह अंतर वैयक्तिक संचार का विस्तार है, जिसमें सम्बन्धों की जटिलता होती है। समूह संचार की प्रक्रिया को समझने के लिए समूह के बारे में जानना आवश्यक है। मानव अपने जीवन काल में किसी-न-किसी समूह का सदस्य अवश्य होता है। अपनी आवश्यकतओं की पूर्ति के लिए नये समूहों का निर्माण भी करता है। समूहों से पृथक होकर मानव अलग-थलग पड़ जाता है। समूह में जहां व्यक्तित्व का विकास होता है, वहीं सामाजिक प्रतिष्ठा बनती है। समूह के माध्यम से एक पीढ़ी के विचार दूसरे पीढ़ी तक स्थानांतरित होता है। समाजशास्त्री चार्ल्स एच. कूले के अनुसार, समाज में दो प्रकार के समूह होते हैं। पहला, प्राथमिक समूह (Primary Group)- जिसके सदस्यों के बीच आत्मीयता, निकटता एवं टिकाऊ सम्बन्ध होते हैं। परिवार, मित्र मंडली व सामाजिक संस्था आदि प्राथमिक समूह के उदाहरण हैं। दूसरा, द्वितीयक समूह (Secondary Group)- जिसका निर्माण संयोग व परिस्थितिवश या स्थान विशेष के कारण कुछ समय के लिए होता है। ट्रेन व बस के यात्री, क्रिकेट मैच के दर्शक, जो आपस में विचार-विमर्श करते हंै, द्वितीयक समूह के सदस्य कहलाते हैं।        सामाजिक कार्य व्यवहार के अनुसार समूह को हित समूह और दबाव समूह में बांटा गया है। जब कोई समूह अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कार्य करता है, तो उसे हित समूह कहा जाता है। इसके विपरीत जब अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अन्य समूहों या प्रशासन के ऊपर दबाव डालता है, तब वह स्वत: ही दबाव समूह में परिवर्तित हो जाता है। व्यक्ति समूह बनाकर विचार-विमर्श, संगोष्ठी, भाषण, सभा के माध्यम से विचारों, जानकारियों व अनुभवाओं का आदान-प्रदान करता है, तो उसे समूह संचार कहा जाता है। इसमें फीडबैक तुरंत मिलता है, लेकिन अंतर-वैयक्तिक संचार की तरह नहीं। फिर भी, यह बहुत ही प्रभावी संचार है, क्योंकि इसमें व्यक्तित्व खुलकर सामने आता है। समूह के सदस्यों को अपनी बात कहने का पर्याप्त अवसर मिलता है। समूह संचार कई सामाजिक परिवेशों में पाया जाता है। जैसे- कक्षा, रंगमंच, कमेटी हॉल, बैठक इत्यादि। कई संचार विशेषज्ञों ने समूह संचार में सदस्यों की संख्या 20 तक मानते हैं, जबकि कई संख्यात्मक की बजाय गुणात्मक विभाजन पर जोर देते हैं। लिण्डग्रेन के अनुसार- दो या दो से अधिक व्यक्तियों का एक दूसरे के साथ कार्यात्मक सम्बन्ध में व्यस्त होने पर एक समूह का निर्माण होता है।      समूह संचार और अंतर वैयक्तिक संचार के कई गुण आपस में मिलते हैं। समूह संचार कितना बेहतर होगा, फीडबैक कितना अधिक मिलेगा, यह समूह के प्रधान और उसके सदस्यों के परस्पर सम्बन्धों पर निर्भर करता है। संचार कौशल में प्रधान जितना अधिक निपुण व ज्ञानवान होगा। उसके समूह के सदस्यों के बीच आपसी सम्बन्ध जितना अधिक होगा, संचार उतना ही अधिक बेहतर होगा। छोटे समूहों में अंतर-वैयक्तिक संचार के गुण ज्यादा मिलने की संभावना होती है। समूह संचार प्रक्रिया में निम्न पांच घटक भाग लेते हैं। विशेषताएं : समूह संचार में … 1. प्रापकों की संख्या निश्चित होती है, सभी अपनी इच्छा व सामर्थ के अनुसार सहयोग करते हैं, 2. सदस्यों के बीच समान रूप से विचारों, भावनाओं का आदान-प्रदान होता है, 3. संचारक और प्रापक के बीच निकटता होती है, 4. विचार-विमर्श के माध्यम से समस्याओं का समाधान किया जाता है,

Read More »

इंटरनेट पत्रकारिता

इंटरनेट पत्रकारिता    इंटरनेट पत्रकारिता : इंटरनेट पर समाचारों का प्रकाशन या आदान–प्रदान इंटरनेट पत्रकारिता कहलाता है। इंटरनेट पत्रकारिता दो रूपों में होती है। प्रथम– समाचार संप्रेषण के लिए नेट का प्रयोग करना । दूसरा– रिपोर्टर अपने समाचार को ई–मेल  द्वारा अन्यत्र भेजने  व  समाचार को संकलित करने  तथा  उसकी सत्यता, विश्वसनीयता सिद्ध करने तथा उसकी सत्यता, विश्वसनीयता सिद्ध करने के लिए करता है।    इंटरनेट पत्रकारिता का इतिहास:    विश्व–स्तर पर इंटरनेट पत्रकारिता का विकास निम्नलिखित चरणों में हुआ–     (१) प्रथम चरण——- १९८२ से १९९२     (२) द्वितीय चरण——- १९९३ से २००१     (३) तृतीय चरण——- २००२ से अब तक  भारत में इंटरनेट पत्रकारिता का पहला चरण १९९३ से तथा दूसरा चरण  २००३ से शुरू माना जाता है। भारत में सच्चे अर्थों में वेब पत्रकारिता करने वाली साइटें ’रीडिफ़ डॉट कॉम’, इंडिया इफ़ोलाइन’ व ’सीफ़ी’ हैं । रीडिफ़ को भारत की पहली साइट कहा जाता है ।  वेब साइट पर विशुद्ध पत्रकारिता  शुरू करने का श्रेय  ’तहलका डॉट्कॉम’ को जाता है। हिंदी में नेट पत्रकारिता ’वेब दुनिया’ के साथ शुरू हुई। यह हिन्दी का संपूर्ण पोर्टल है।  प्रभा साक्षी  नाम का अखबार  प्रिंट रूप में न होकर सिर्फ़ नेट पर ही उपलब्ध है। आज पत्रकारिता के लिहाज से हिन्दी की सर्व श्रेष्ठ साइट बीबीसी की है, जो इंटरनेट के मानदंडों के अनुसार चल रही है। हिन्दी वेब जगत में ’अनुभूति’, अभिव्यक्ति, हिन्दी नेस्ट, सराय आदि साहित्यिक पत्रिकाएँ भी अच्छा काम कर रही हैं।  अभी हिन्दी वेब जगत की सबसे बडी़ समस्या मानक की बोर्ड तथा फ़ोंट  की है ।  डायनमिक फ़ौंट  के अभाव के कारण हिन्दी की ज्यादातर साइटें खुलती ही नहीं हैं ।

Read More »

पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण नोट्स

पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण नोट्स इस ब्लॉग पर दिए गए नोट्स पत्रकारिता के उन विद्यार्थियों के लिए हैं

Read More »

जनसंचार Mass Communication

जनसंचार Mass Communication जनसंचार (Mass Communication) जनसंचार  (Mass Communication)        आधुनिक युग में ‘संचार’ काफी प्रचलित शब्द है। इसका निर्माण दो शब्दों जन+संचार के योग से हुआ है। ‘जन’ का अर्थ ‘जनता अर्थात भीड़’ होता है। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार, जन का अर्थ पूर्ण रूप से व्यक्तिवादिता का अंत है। गिन्सवर्ग के अनुसार- जनता असंगठित और अनाकार व्यक्तियों का समूह है जिसके सदस्य सामान्य इच्छाओं एवं मतों के आधार पर एक दूसरे से बंधे रहते हैं, परंतु इसकी संख्या इतनी बड़ी होती है कि वे एक-दूसरे के साथ प्रत्यक्ष रूप से व्यक्तिगत सम्बन्ध बनाये नहीं रख सकते हैं।         समूह संचार का वृहद रूप है- जनसंचार। इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 19 वीं सदी के तीसरे दशक के अंतिम दौर में संदेश सम्प्रेषण के लिए किया गया। संचार क्रांति के क्षेत्र में तरक्की के कारण जैसे-जैसे समाचार पत्र, रेडियो, टेलीविजन, केबल, इंटरनेट, वेब पोर्टल्स इत्यादि का प्रयोग बढ़ता गया, वैसे-वैसे जनसंचार के क्षेत्र का विस्तार होता गया। इसमें फीडबैक देर से तथा बेहद कमजोर मिला है। आमतौर पर जनसंचार और जनमाध्यम को एक ही समझा जाता है, किन्तु दोनों अलग-अलग हैं। जनसंचार एक प्रक्रिया है, जबकि जनमाध्यम इसका साधन।  जनसंचार माध्यमों के विकास के शुरूआती दौर में जनमाध्यम मनुष्य को सूचना अवश्य देते थे, परंतु उसमें जनता की सहभागिता नहीं होती थी। इस समस्या को संचार विशेषज्ञ जल्दी समझ गये और समाधान के लिए लगातार प्रयासरत रहे। इंटरनेट के आविष्कार के बाद लोगों की सूचना के प्रति भागीदारी बढ़ी है तथा मनचाहा सूचना प्राप्त करना और दूसरों को सम्प्रेषित करना संभव हो सका।  जनसंचार को अंग्रेजी भाषा में Mass Communication कहते हैं, जिसका अभिप्राय बिखरी हुई जनता तक संचार माध्यमों की मदद से सूचना को पहुंचाना है। समाचार पत्र, टेलीविजन, रेडियो, सिनेमा, केबल, इंटरनेट, वेब पोर्टल्स इत्यादि अत्याधुनिक संचार माध्यम हैं। जनसंचार का अर्थ विशाल जनसमूह के साथ संचार करने से है। दूसरे शब्दों में, जनसंचार वह प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत संदेशों को जनमाध्यमों की मदद से एक-दूसरे से अंजान तथा विषम जातीय जनसमूह तक सम्प्रेषित किया जाता है। संचार विशेषज्ञों ने जनसंचार की निम्नलिखित परिभाषा दी है :-     लेक्सीकॉन यूनिवर्सल इनसाइक्लोपीडिया के अनुसार- कोई भी संचार, जो लोगों के महत्वपूर्ण रूप से व्यापक समूह तक पहुंचता हो, जनसंचार है।     बार्कर के अनुसार- जनसंचार श्रोताओं के लिए अपेक्षाकृत कम खर्च में पुनर्उत्पादन तथा वितरण के विभिन्न साधनों का इस्तेमाल करके किसी संदेश को व्यापक लोगों तक, दूर-दूर तक फैले हुए श्रोताओं तक रेडियो, टेलीविजन, समाचार पत्र जैसे किसी चैनल द्वारा पहुंचाया जाता है।     कार्नर के अनुसार- जनसंचार संदेश के बड़े पैमाने पर उत्पादन तथा वृहद स्तर पर विषमवर्गीय जनसमूहों में द्रुतगामी वितरण करने की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में जिन उपकरणों अथवा तकनीक का उपयोग किया जाता है उन्हें जनसंचार माध्यम कहते हैं।     कुप्पूस्वामी के अनुसार- जनसंचार तकनीकी आधार पर विशाल अथवा व्यापक रूप से लोगों तक सूचना के संग्रह एवं प्रेषण पर आधारित प्रक्रिया है। आधुनिक समाज में जनसंचार का कार्य सूचना प्रेषण, विश्लेषण, ज्ञान एवं मूल्यों का प्रसार तथा मनोरंजन करना है।     जोसेफ डिविटो के अनुसार- जनसंचार बहुत से व्यक्तियों में एक मशीन के माध्यम से सूचनाओं, विचारों और दृष्टिकोणों को रूपांतरित करने की प्रक्रिया है।     जॉर्ज ए.मिलर के अनुसार- जनसंचार का अर्थ सूचना को एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंचाना है।     डी.एस. मेहता के अनुसार- जनसंचार का अर्थ जनसंचार माध्यमों जैसे- रेडियो, टेलीविजन, प्रेस और चलचित्र द्वारा सूचना, विचार और मनोरंजन का प्रचार-प्रसार करना है।

Read More »

“विदेशी कंपनी VinFast की भारत में धमाकेदार एंट्री, टाटा-हुंडई के लिए बनेगी बड़ी चुनौती!”

विनफास्ट की एंट्री: भारतीय इलेक्ट्रिक कार बाजार में बड़ा धमाका “विदेशी कंपनी VinFast की भारत में धमाकेदार एंट्री, टाटा-हुंडई के

Read More »
Scroll to Top