8 मई का इतिहास, 8 मई की घटनाएं, वी-ई डे, जर्मनी आत्मसमर्पण, द्वितीय विश्व युद्ध का अंत, बेलग्राद चीनी दूतावास हमला, स्वराजपाल, मुरलीधरन टेस्ट रिकॉर्ड, न्यूजीलैंड क्रिकेट पाकिस्तान दौरा, INCB से अमेरिका बाहर, नक्सली हमला बीजापुर, गिरिजा देवी, स्वामी चिन्मयानंद, सत्यब्रत मुखर्जी, गोपबन्धु चौधरी, तपन राय चौधरी, जीन हेनरी डयूनेन्ट, 8 मई के प्रसिद्ध जन्म, भारतीय इतिहास, विश्व इतिहास
8 मई 1945 – मित्र राष्ट्रों की सेनाओं के समक्ष जर्मनी का आत्मसमर्पण
8 मई 1945 को जर्मनी ने औपचारिक रूप से मित्र राष्ट्रों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया, जिससे यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हुआ। यह दिन ‘वी-ई डे’ (Victory in Europe Day) के नाम से जाना जाता है। जर्मनी की नाजी सरकार के पतन के साथ ही हिटलर की विचारधारा का अंत हुआ। आत्मसमर्पण की घोषणा से यूरोप में लंबे समय से चले आ रहे युद्ध और नरसंहार का अंत हुआ। यह घटना इतिहास में तानाशाही के खिलाफ लोकतांत्रिक शक्तियों की बड़ी जीत मानी जाती है। इस दिन को कई देशों में राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
8 मई 1999 – बेलग्राद स्थित चीनी दूतावास पर नाटो द्वारा प्रक्षेपास्त्रों से हमला
8 मई 1999 को नाटो सेनाओं ने यूगोस्लाविया की राजधानी बेलग्राद में स्थित चीनी दूतावास पर मिसाइल हमला किया। यह हमला नाटो की यूगोस्लाविया पर बमबारी के दौरान हुआ, जिसमें तीन चीनी पत्रकारों की मौत हो गई। अमेरिका और नाटो ने इसे ‘गलती’ बताया, जबकि चीन ने इसे जानबूझकर की गई आक्रामक कार्रवाई कहा। इस घटना से चीन और अमेरिका के बीच तनाव बहुत बढ़ गया था। चीनी नागरिकों ने व्यापक विरोध-प्रदर्शन किए और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अमेरिका की आलोचना की गई। यह हमला वैश्विक कूटनीतिक संबंधों में एक गंभीर मोड़ बना।
8 मई 2000 – लॉर्ड स्वराजपाल ब्रिटिश यूनिवर्सिटी के कुलपति नियुक्त
8 मई 2000 को भारतीय मूल के 69 वर्षीय लॉर्ड स्वराजपाल को ब्रिटेन के चौथे सबसे बड़े विश्वविद्यालय, ब्रिटिश यूनिवर्सिटी का कुलपति नियुक्त किया गया। यह नियुक्ति भारतीय समुदाय के लिए गर्व का विषय बनी। स्वराजपाल एक सफल उद्योगपति और समाजसेवी भी हैं। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है और ब्रिटिश संसद के हाउस ऑफ लॉर्ड्स में भी अपनी भूमिका निभाई है। उनकी यह उपलब्धि प्रवासी भारतीयों की मेहनत और योग्यता का प्रतीक है। उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय ने शिक्षा की गुणवत्ता और विविधता को बढ़ावा देने का काम किया।
8 मई 2001 – अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय मादक द्रव्य नियंत्रण बोर्ड से बाहर
8 मई 2001 को अमेरिका को अंतर्राष्ट्रीय मादक द्रव्य नियंत्रण बोर्ड (International Narcotics Control Board – INCB) से बाहर कर दिया गया। यह संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन के तहत कार्य करती है और वैश्विक स्तर पर मादक द्रव्यों के नियंत्रण और निगरानी का कार्य करती है। अमेरिका का बाहर होना कई देशों के लिए आश्चर्यजनक था, क्योंकि वह मादक द्रव्य नियंत्रण में अग्रणी भूमिका निभाता रहा है। इस निर्णय के पीछे अमेरिका की कुछ नीतियों को लेकर अंतरराष्ट्रीय असहमति बताई गई। इस घटनाक्रम से वैश्विक मादक नियंत्रण नीति में बड़े बदलाव के संकेत मिले।
8 मई2002 – पाकिस्तान दौरा रद्द कर न्यूजीलैंड की टीम स्वदेश लौटी
8 मई 2002 को न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम ने पाकिस्तान दौरा अचानक रद्द कर दिया और सुरक्षा कारणों से स्वदेश लौट गई। यह निर्णय कराची में एक आत्मघाती हमले के बाद लिया गया था, जिसमें कई लोग मारे गए थे। उस समय न्यूजीलैंड की टीम पाकिस्तान में थी और हमले के दौरान उनके होटल से कुछ ही दूरी पर विस्फोट हुआ था। इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सुरक्षा चिंताओं को गंभीरता से सामने ला दिया और इसके बाद पाकिस्तान में कई वर्षों तक विदेशी टीमों का आना बंद हो गया।
8 मई 2004 – श्रीलंका के मुरलीधरन ने 521 विकेट लेकर सर्वाधिक टेस्ट विकेट लेने का रिकॉर्ड बनाया
8 मई 2004 को श्रीलंका के महान स्पिन गेंदबाज मुथैया मुरलीधरन ने टेस्ट क्रिकेट में 521 विकेट लेकर सबसे अधिक विकेट लेने का रिकॉर्ड बना डाला। उन्होंने यह रिकॉर्ड जिम्बाब्वे के खिलाफ कैंडी टेस्ट में बनाया। इससे पहले यह रिकॉर्ड वेस्टइंडीज के कोर्टनी वॉल्श के नाम था। मुरलीधरन की गेंदबाजी में विविधता, धैर्य और तकनीकी कुशलता के कारण वे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों में गिने जाते हैं। उनके इस कीर्तिमान ने श्रीलंकाई क्रिकेट को वैश्विक मंच पर नई पहचान दी और उनकी गिनती क्रिकेट इतिहास के महानतम खिलाड़ियों में होती है।
8 मई 2006 – संयुक्त राज्य अमेरिका पाकिस्तान को आधुनिकतम पारंपरिक शस्त्र प्रणाली देने पर सहमत
8 मई 2006 को अमेरिका ने पाकिस्तान को अत्याधुनिक पारंपरिक हथियार प्रणाली देने की मंजूरी दी। इस निर्णय का उद्देश्य पाकिस्तान की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाना और आतंकवाद विरोधी अभियानों में सहयोग देना था। हालांकि भारत ने इस सौदे पर चिंता व्यक्त की थी क्योंकि इससे क्षेत्रीय शक्ति संतुलन पर प्रभाव पड़ सकता था। अमेरिका और पाकिस्तान के बीच इस सहयोग को रणनीतिक साझेदारी के रूप में देखा गया। इस डील के माध्यम से पाकिस्तान को कई उन्नत हथियार प्रणालियाँ प्राप्त हुईं, जिससे उसकी रक्षा क्षमताएं मजबूत हुईं।
8 मई 2010 – छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने बीजापुर में सीआरपीएफ वाहन को उड़ाया, 8 जवान शहीद
8 मई 2010 को छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले में नक्सलियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-16 पर बारूदी सुरंग विस्फोट कर सीआरपीएफ के बख्तरबंद वाहन को उड़ा दिया। यह हमला टाड़मेटला हमले के एक महीने बाद हुआ था। विस्फोट में 8 जवान शहीद हो गए और 2 आम नागरिक घायल हुए। इस घटना ने राज्य में नक्सली हिंसा की गंभीरता को फिर से उजागर कर दिया और सुरक्षा बलों की रणनीति पर सवाल खड़े किए। इसके बाद केंद्र और राज्य सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था और निगरानी को और सख्त किया।
8 मई सत्यब्रत मुखर्जी (जन्म: 1932)
सत्यब्रत मुखर्जी भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और एक प्रख्यात वकील थे। वे केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं और वाणिज्य एवं कानून मंत्रालय जैसे महत्त्वपूर्ण विभागों को संभाला। उन्होंने भारतीय राजनीति में ईमानदारी और सेवा की मिसाल कायम की। समाजसेवा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। वे लोकसेवा और सामाजिक न्याय के पक्षधर थे। उनका राजनीतिक जीवन भारतीय लोकतंत्र की मजबूती में सहायक रहा। वे लंबे समय तक संसद सदस्य भी रहे और अपने वक्तव्यों व नीतिगत समझ के लिए जाने जाते थे।
8 मई गिरिजा देवी (जन्म: 1929)
गिरिजा देवी भारत की प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका थीं, जिन्हें खासकर ठुमरी शैली के लिए जाना जाता है। उनका जन्म वाराणसी में हुआ था और वे बनारस घराने से संबंधित थीं। उन्होंने भारतीय संगीत को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई। उन्हें ‘ठुमरी की रानी’ भी कहा जाता था। उन्होंने ठुमरी, दादरा, कजरी और होरी जैसे उपशास्त्रीय गायन शैलियों में अप्रतिम योगदान दिया। गिरिजा देवी को पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण जैसे अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाज़ा गया। उनकी कला और साधना ने भारतीय संगीत को समृद्ध किया और युवा पीढ़ी को प्रेरित किया।
8 मई स्वामी चिन्मयानंद (जन्म: 1916)
स्वामी चिन्मयानंद भारत के प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरुओं में से एक थे। वे वेदांत दर्शन के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात विद्वान थे। उन्होंने ‘चिन्मय मिशन’ की स्थापना की, जो आज भी विश्वभर में वेदांत और गीता का प्रचार-प्रसार करता है। उनका वास्तविक नाम बालकृष्ण मेनन था। अध्यात्म और भारतीय संस्कृति के प्रचार में उनका योगदान अद्वितीय रहा। उन्होंने अंग्रेज़ी में गीता पर प्रवचन दिए, जिससे पश्चिमी जगत में भी उन्हें ख्याति मिली। स्वामी चिन्मयानंद ने आत्मबोध और राष्ट्र निर्माण के बीच गहरा संबंध स्थापित किया और युवाओं में आध्यात्मिक चेतना जागृत की।
8 मई गोपबन्धु चौधरी (जन्म: 1895)
गोपबन्धु चौधरी उड़ीसा के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और गाँधीवादी समाजसेवी थे। उन्होंने ब्रिटिश राज के खिलाफ सत्याग्रह और असहयोग आंदोलन में भाग लिया। एक समृद्ध परिवार से आने के बावजूद उन्होंने ग्रामीण विकास, शिक्षा और समाज सुधार के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। वे गाँधीजी के विचारों से अत्यधिक प्रभावित थे और अपना संपूर्ण जीवन निर्धनों की सेवा में लगा दिया। वे ‘सेवाग्राम’ और ग्राम विकास योजनाओं के माध्यम से उड़ीसा के गांवों में आत्मनिर्भरता की भावना को बढ़ावा देते थे। उनका जीवन सच्चे राष्ट्रसेवक का उदाहरण था।
8 मई तपन राय चौधरी (जन्म: 1926)
तपन राय चौधरी एक प्रतिष्ठित भारतीय इतिहासकार थे जिन्होंने आधुनिक भारतीय इतिहास पर गहन शोध किया। वे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे और उनकी लेखनी ने इतिहास लेखन की नई दिशा तय की। उनका प्रमुख ध्यान ब्रिटिश भारत की सामाजिक और आर्थिक संरचना पर था। उन्होंने बंगाल के इतिहास पर भी कई महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे। उनके अध्ययन में औपनिवेशिक प्रभावों का विश्लेषण अत्यंत गंभीर और तथ्यात्मक रहा। वे भारतीय विद्वत्ता जगत में एक विचारशील और निष्पक्ष इतिहासकार के रूप में माने जाते हैं। उनके योगदान को अकादमिक जगत में विशेष सम्मान प्राप्त है।
8 मई जीन हेनरी डयूनेन्ट (जन्म: 1828)
जीन हेनरी डयूनेन्ट स्विट्ज़रलैंड के नागरिक और रेड क्रॉस के संस्थापक थे। उन्होंने 1859 में इटली के युद्धक्षेत्र में घायल सैनिकों की दयनीय दशा देखकर मानवीय सेवा का बीड़ा उठाया। इसके फलस्वरूप उन्होंने अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस समिति की स्थापना की। मानवीय कार्यों के लिए उन्हें 1901 में पहला नोबेल शांति पुरस्कार मिला। उनकी पहल से युद्ध में घायल सैनिकों को बिना पक्षपात चिकित्सा सहायता देने की परंपरा शुरू हुई। उनका जीवन करुणा, सेवा और मानवता का प्रतीक माना जाता है। उनका योगदान आज भी दुनिया भर में आपदा प्रबंधन और युद्ध में मानवीय सहायता के रूप में जीवित है।
8 मई आत्माराम रावजी देशपांडे (निधन: 1982)
आत्माराम रावजी देशपांडे मराठी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक, कवि और आलोचक थे। वे आधुनिक मराठी साहित्य में प्रतीकवाद और प्रयोगशीलता के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। उन्हें ‘काव्यविवेक’ और ‘प्रश्न’ जैसी साहित्यिक पत्रिकाओं के माध्यम से साहित्य को नई दिशा देने का श्रेय प्राप्त है। उनकी लेखनी में सामाजिक चेतना और वैचारिक गहराई स्पष्ट रूप से झलकती है। आत्माराम रावजी को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए अनेक सम्मान प्राप्त हुए। उनका निधन मराठी साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति थी।
8 मई ज़िया फ़रीदुद्दीन डागर (निधन: 2013)
ज़िया फ़रीदुद्दीन डागर भारत के प्रसिद्ध ध्रुपद गायक थे। वे डागर घराने से ताल्लुक रखते थे, जिसने ध्रुपद गायन को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपने भाई उस्ताद जिया मोइनुद्दीन डागर के साथ मिलकर ध्रुपद संगीत को देश-विदेश में लोकप्रिय बनाया। वे आईटीसी संगीत अकादमी और अन्य संस्थानों में संगीत शिक्षा से भी जुड़े रहे। उनकी गायकी में गूढ़ता, साधना और भारतीय परंपरा की झलक मिलती है। उनका निधन भारतीय शास्त्रीय संगीत, विशेषतः ध्रुपद के क्षेत्र में एक बड़ी क्षति माना गया।
8 मई देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय (निधन: 1993)
देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार और दार्शनिक थे। वे विशेष रूप से भारतीय दर्शन, विज्ञान और समाज की ऐतिहासिक समझ के लिए जाने जाते हैं। उनकी पुस्तकें जैसे “Lokayata: A Study in Ancient Indian Materialism” ने भारतीय भौतिकवादी विचारधारा को नई दृष्टि से प्रस्तुत किया। वे मार्क्सवादी दृष्टिकोण से इतिहास और दर्शन का विश्लेषण करते थे। उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा को पश्चिमी नजरिए से स्वतंत्र रूप में समझने पर बल दिया। उनका शोधकार्य अकादमिक जगत में अत्यधिक मान्यता प्राप्त है।
8 मई मीर क़ासिम (निधन: 1777)
मीर क़ासिम बंगाल के नवाब थे जिन्होंने अंग्रेजों की बढ़ती शक्ति के खिलाफ संघर्ष किया। उन्होंने अंग्रेज़ी ईस्ट इंडिया कंपनी की नीतियों के विरुद्ध विद्रोह किया और भारतीय इतिहास में प्रतिरोध के प्रतीक बन गए। प्लासी युद्ध के बाद नवाब बने मीर क़ासिम ने प्रशासन में सुधार और स्वतंत्र नीति अपनाने का प्रयास किया, जिससे अंग्रेज़ों से उनका टकराव हुआ। 1764 के बक्सर युद्ध में पराजित होने के बाद उन्होंने नेपाल और फिर अफगानिस्तान में शरण ली। 1777 में उनका निधन हुआ। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रारंभिक विरोधियों में गिने जाते हैं।
8 मई अमीर चन्द (निधन: 1915)
अमीर चन्द भारत के उन साहसी क्रांतिकारियों में शामिल थे जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। वे दिल्ली षड्यंत्र केस के प्रमुख अभियुक्तों में से थे और ब्रिटिश सरकार ने उन्हें फाँसी की सज़ा दी। उनका जुड़ाव क्रांतिकारी संगठनों से था और वे गुप्त रूप से देश में स्वतंत्रता की अलख जगाते थे। वे शहीद भगत सिंह और उनके साथियों से पहले की पीढ़ी के स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका बलिदान भारत के युवाओं में देशभक्ति की भावना को प्रज्वलित करने वाला था।
8 मई भाई बालमुकुंद (निधन: 1915)
भाई बालमुकुंद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक साहसी और समर्पित क्रांतिकारी थे। वे अमीर चंद, बसंत कुमार विश्वास और अवध बिहारी के साथ दिल्ली षड्यंत्र केस में शामिल थे। ब्रिटिश वायसराय की हत्या के प्रयास के आरोप में उन्हें फाँसी दी गई। बाल्यकाल से ही उनमें देशभक्ति की भावना प्रबल थी और वे आर्य समाज से भी जुड़े रहे। 1915 में उन्हें फाँसी देकर शहीद बना दिया गया। उनका बलिदान स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक प्रेरणादायी अध्याय बन गया है।
8 मई दामोदरम संजीवय्या (निधन: 1927)
दामोदरम संजीवय्या भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता थे और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने वाले पहले दलित नेता बने। वे सामाजिक न्याय और दलित उत्थान के प्रबल समर्थक थे। अपने शासन काल में उन्होंने शिक्षा, रोजगार और भूमि सुधार जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने केंद्र में भी मंत्री पद संभाला और कांग्रेस संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका नेतृत्व समाज के वंचित वर्गों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना। 1927 में उनका निधन हुआ, लेकिन उनका राजनीतिक योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।
(टिप्पणी: यहाँ मृत्यु वर्ष में संभवतः त्रुटि है; दामोदरम संजीवय्या का वास्तविक निधन वर्ष 1972 है।)
8 मई वासुदेव चापेकर (निधन: 1899)
वासुदेव चापेकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले क्रांतिकारियों में से एक थे। उन्होंने अपने भाइयों बाळकृष्ण और दामोदर के साथ मिलकर पुणे में अंग्रेज़ी अधिकारी प्लेग कमिश्नर वॉल्टर रैंड की हत्या की थी, जो अत्याचार के लिए कुख्यात था। इस साहसी कार्य के बाद उन्हें अंग्रेजों ने गिरफ्तार किया और 1899 में फाँसी दे दी गई। चापेकर बंधुओं का बलिदान भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन का प्रारंभिक स्वरूप था, जिसने युवाओं को स्वतंत्रता के लिए हथियार उठाने की प्रेरणा दी। वासुदेव का नाम साहस और राष्ट्रभक्ति का प्रतीक बन गया।
8 मई विश्व रेड क्रॉस दिवस (World Red Cross Day)
हर साल 8 मई को विश्व रेड क्रॉस दिवस मनाया जाता है। यह दिवस रेड क्रॉस संस्था के संस्थापक जीन हेनरी ड्यूनेंट की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिन्होंने मानवता के सिद्धांत पर आधारित इस संगठन की स्थापना की। इस दिन का उद्देश्य आपातकाल, युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं में रेड क्रॉस के कार्यों की सराहना करना और अधिक से अधिक लोगों को मानवीय सेवा के लिए प्रेरित करना होता है। रेड क्रॉस का उद्देश्य “मानवता, निष्पक्षता, तटस्थता, स्वतंत्रता, एकता और सार्वभौमिकता” जैसे मूल्यों को फैलाना है।
8 मई विश्व थैलेसीमिया दिवस (World Thalassemia Day)
विश्व थैलेसीमिया दिवस हर वर्ष 8 मई को थैलेसीमिया जैसे अनुवांशिक रक्त विकार के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। यह दिन उन रोगियों को समर्पित होता है जो इस बीमारी से पीड़ित हैं, और उन अभिभावकों को सम्मानित करने का भी अवसर होता है जो अपने बच्चों की देखभाल में अहम भूमिका निभाते हैं। थैलेसीमिया में शरीर पर्याप्त मात्रा में हीमोग्लोबिन नहीं बना पाता, जिससे रोगी को बार-बार रक्त चढ़ाने की आवश्यकता होती है। इस दिवस का उद्देश्य है — जागरूकता बढ़ाना, समय पर जांच को प्रोत्साहित करना और अनुवांशिक परामर्श को बढ़ावा देना।