लाल चंदन: ‘पुष्पा’ की कहानी से असल जिंदगी का संघर्ष
लाल चंदन, जिसे ‘रेड सैंडलवुड’ के नाम से भी जाना जाता है, आंध्र प्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र में पाई जाने वाली एक दुर्लभ और कीमती लकड़ी है। हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म ‘पुष्पा 2: द रूल’ में इस लकड़ी के कारोबार को प्रमुखता से दिखाया गया, जिससे इसे सोने जैसी अमूल्य वस्तु के रूप में देखा जाने लगा। फिल्म ने 1500 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की, लेकिन असल जिंदगी में यह लकड़ी खरीदारों के लिए तरस रही है।
लाल चंदन की कीमत और बिक्री
लाल चंदन को तीन श्रेणियों में बांटा गया है: ए, बी और सी। ए-ग्रेड लाल चंदन को उच्चतम गुणवत्ता वाला माना जाता है। इसके एक टन की कीमत करीब ₹75 लाख है। पहले इस लकड़ी की कीमत ₹1 से ₹1.5 करोड़ प्रति टन तक थी, लेकिन वर्तमान में बाजार में गिरावट के चलते बिक्री में भारी कमी आई है।
बिक्री में गिरावट क्यों?
आंध्र प्रदेश सरकार के मुताबिक, 2020 में कोरोना महामारी के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में लाल चंदन की मांग में भारी गिरावट आई है। इसके अलावा, वैश्विक आर्थिक मंदी ने भी इस स्थिति को और खराब कर दिया है। चीन, जो पहले लाल चंदन का सबसे बड़ा खरीदार था, ने भी इसमें दिलचस्पी कम कर दी है।
सरकारी प्रयास और चुनौतियां
भारत सरकार ने आंध्र प्रदेश को 11,000 टन लाल चंदन नीलाम करने की अनुमति दी है। इसमें से लगभग 4000 टन लकड़ी तिरुपति के उच्च सुरक्षा वाले डिपो में रखी हुई है। हाल ही में 905 टन लाल चंदन की नीलामी का प्रयास किया गया, लेकिन कोई भी खरीददार सामने नहीं आया।
लाल चंदन का उपयोग
लाल चंदन का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा, फर्नीचर, और लग्ज़री उत्पाद बनाने में होता है। हालांकि, गैरकानूनी कटाई और बिक्री पर सख्ती के चलते यह लकड़ी अब दुर्लभ हो गई है।
लाल चंदन की कीमत और उसकी प्रतिष्ठा के बावजूद, इसकी बिक्री में गिरावट चिंताजनक है। सरकार को नए बाजारों की तलाश और नीलामी प्रक्रिया को और प्रभावी बनाने की जरूरत है।
लाल चंदन, जिसे ‘रक्त चंदन’ भी कहा जाता है, एक दुर्लभ और बहुमूल्य लकड़ी है, जो मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र में पाई जाती है। इसकी उच्च मांग के बावजूद, हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी बिक्री में कमी आई है। आंध्र प्रदेश सरकार ने 2020 के बाद से कई नीलामियों का आयोजन किया, लेकिन अधिकांश में लाल चंदन की लकड़ी नहीं बिक पाई।
कीमत की बात करें तो, भारतीय बाजार में लाल चंदन की लकड़ी की कीमत लगभग ₹18,000 से ₹25,000 प्रति किलोग्राम है, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह ₹38,000 से ₹45,000 प्रति किलोग्राम तक होती है।
लाल चंदन की उच्च कीमत और दुर्लभता के बावजूद, वर्तमान में इसके खरीदारों की कमी एक चिंता का विषय है। विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक आर्थिक मंदी और महामारी के प्रभाव के कारण इसकी मांग में गिरावट आई है।
यदि आप लाल चंदन के बारे में और जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित वीडियो सहायक हो सकता है:
लाल चंदन, जिसे ‘रक्त चंदन’ भी कहा जाता है, एक दुर्लभ और बहुमूल्य लकड़ी है, जो मुख्यतः आंध्र प्रदेश के पूर्वी घाट के दक्षिणी भागों में पाई जाती है। इसकी उच्च मांग के बावजूद, हाल के वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी बिक्री में कमी आई है।
लाल चंदन की कीमत:
- भारतीय बाजार में: लाल चंदन की कीमत प्रति किलोग्राम ₹18,000 से ₹25,000 के बीच होती है।
- अंतर्राष्ट्रीय बाजार में: इसकी कीमत प्रति किलोग्राम ₹38,000 से ₹45,000 तक होती है।
लाल चंदन की विशेषताएं:
- उपयोग: लाल चंदन का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा, लक्जरी फर्नीचर, नक्काशी, और धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है।
- कानूनी स्थिति: लाल चंदन की कटाई और बिक्री पर सरकारी नियंत्रण है, और निजी व्यापारियों के लिए यह अवैध है।
वर्तमान स्थिति:
कोरोना महामारी के बाद से, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में लाल चंदन की मांग में गिरावट आई है, जिससे आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित नीलामियों में बिक्री प्रभावित हुई है। नवंबर-दिसंबर 2024 में आयोजित नीलामी में 905 टन लाल चंदन की पेशकश की गई थी, लेकिन एक भी टन नहीं बिक पाया।
लाल चंदन की उच्च कीमत और दुर्लभता के बावजूद, वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी मांग में कमी देखी जा रही है। फिल्म ‘पुष्पा’ की सफलता ने लाल चंदन के प्रति जागरूकता बढ़ाई है, लेकिन वास्तविक जीवन में इसके खरीदारों की संख्या में गिरावट आई है।