पहला प्यार: एक स्कूल रोमांस

पहला प्यार: एक स्कूल रोमांस

रवि हमेशा से एक शांत स्वभाव का लड़का था, पढ़ाई में अच्छा और दोस्तों के बीच भरोसेमंद। लेकिन जब वह 11वीं कक्षा में आया, तो उसकी जिंदगी में एक नया मोड़ आया—नेहा। नेहा नई छात्रा थी, चंचल, हंसमुख और हर किसी से जल्दी घुल-मिल जाने वाली। उसकी मुस्कान में कुछ खास था, जो रवि को पहली ही मुलाकात में भा गया।

शुरुआत में रवि उसे दूर से ही देखता था, लेकिन कभी हिम्मत नहीं जुटा पाया कि बात करे। नेहा क्लास की सबसे होशियार लड़की थी, और टीचर्स भी उसकी तारीफ किया करते थे। एक दिन मैथ्स के टीचर ने क्लास टेस्ट लिया, जिसमें रवि कुछ सवालों में अटक गया। नेहा ने उसका उत्तर पत्र देखकर हल्का सा मुस्कराते हुए कहा, “चिंता मत करो, मैं समझा दूंगी।” यही वो पहली बातचीत थी, जिसने दोनों के बीच दोस्ती की नींव रखी।

धीरे-धीरे यह दोस्ती गहरी होती गई। लंच ब्रेक में दोनों साथ बैठने लगे, लाइब्रेरी में किताबें एक्सचेंज करने लगे, और कभी-कभी स्कूल के बाद रास्ते में चलते हुए बातें करने लगे। रवि को महसूस होने लगा कि उसके दिल में कुछ अलग सा एहसास जन्म ले रहा है। वह जब भी नेहा को देखता, उसके दिल की धड़कन तेज़ हो जाती।

एक दिन, स्कूल ट्रिप के दौरान, जब सभी छात्र झील किनारे बैठे थे, नेहा और रवि अकेले घूमते हुए एक शांत कोने में बैठ गए। हल्की हवा बह रही थी और सूरज ढलने वाला था। नेहा ने हंसते हुए कहा, “तुम बहुत अलग हो, बाकी लड़कों से। मुझे तुम्हारी कंपनी बहुत पसंद है।” रवि के लिए यह सुनना किसी जादू से कम नहीं था। उसने भी हिम्मत करके कहा, “मुझे भी तुम्हारा साथ बहुत अच्छा लगता है… शायद, उससे भी ज्यादा।”

नेहा थोड़ी देर चुप रही, फिर हल्की मुस्कान के साथ बोली, “मुझे पता था, पर तुम्हें कहने का इंतजार कर रही थी।” यह सुनते ही रवि का चेहरा खिल उठा। उस पल दोनों के बीच एक अनकहा वादा था—साथ निभाने का, बिना कहे समझने का।

यही स्कूल का प्यार था—मासूम, खूबसूरत और दिल के सबसे करीब!

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